रक्षाबंधन कैसे बनाया जाता है,कब है रक्षाबंधन2021? जानें इस वर्ष राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
रक्षा बंधन का त्यौहार कब है | 22 अगस्त 2021 |
दिन | रविवार |
राखी बांधने का शुभ मुहुर्त | सुबह 6:15 बजे से रात 7:40 बजे तक |
कुल अवधि | 13 घंटे 25 मिनट |
रक्षा बंधन अपरान्ह मुहुर्त | दोपहर 1:42 से 4:18 तक |
रक्षा बंधन प्रदोष मुहुर्त | शाम 8:08 से 10:18 रात्रि तक |
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रक्षा बंधन पर इस बार नहीं रहेगी भद्रा की कोई छाया
रक्षाबंधन कैसे मनाये
एक थाली में कुमकुम, अक्षत, दीपक, मिठाई और राखी रखें, भाई को तिलक लगाकर उसकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधें. भाई की आरती उतारें, उसे मिठाई खिलाएं. राखी बांधने के बाद भाईयों को अपने सामर्थ्य के अनुसार तोहफा देना चाहिए.
राखी (रक्षासूत्र) बांधते वक्त इस मंत्र का जाप करें
"येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।"
मंत्र का अर्थ - जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूं। हे रक्षे (राखी) तुम अडिग रहना। अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित मत होना। इसी कामना के साथ बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है।
राखी और आधुनिक तकनीकी माध्यम
आज के आधुनिक तकनीकी युग एवं सूचना सम्प्रेषण युग का प्रभाव राखी जैसे त्योहार पर भी पड़ा है। बहुत सारे भारतीय आजकल विदेश में रहते हैं एवं उनके परिवार वाले (भाई एवं बहन) अभी भी भारत या अन्य देशों में हैं। इण्टरनेट के आने के बाद कई सारी ई-कॉमर्स साइट खुल गयी हैं जो ऑनलाइन आर्डर लेकर राखी दिये गये पते पर पहुँचाती है।
रक्षाबंधन की 5 ऐतिहासिक घटनाएं
✅ ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग देवता इंद्र जब असुरों से पराजित हए थे, तो उनके हाथ पर उनकी पत्नी इंद्राणी ने रक्षा-सूत्र बांधा था, ताकि वह दुश्मनों का डटकर सामना कर सकें।
✅ एक बार की बात है जब भगवान कृष्ण की अंगुली से रक्त बह रहा था। पांडवों की पत्नी द्रौपदी नेअपनी साड़ी का किनारा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया। भगवान कृष्ण ने उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया और आजीवन उसे निभाते रहे।
✅ जब राजा पोरस और महान योद्धा सिकंदर के बीच युद्ध हुआ तो सिकंदर की पत्नी ने पोरस की रक्षा के लिए उसकी कलाई पर धागा बांधा था। इसे भी रक्षा-बंधन का एक स्वरूप ही माना जाता है।
✅ भारतीय इतिहास में ऐसा ही एक और उदाहरण मिलता है, जब चित्तौड़ की रानी कर्मावती ने बहादुरशाह से अपनी रक्षा के लिए हुमायूं को राखी बांधी थी। हुमायूं उसकी रक्षा की पूरी कोशिश करता है, लेकिन दुश्मनों के बढ़ते कदम को रोक नहीं पाता और अंतत: रानी कर्मावती जौहर व्रत धारण कर लेती है।
✅ आधुनिक इतिहास में भी इसका उदाहरण मिलता है, जब नोबल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर ने बंगाल विभाजन के बाद हिंदुओं और मुसलमानों से एकजुट होने का आग्रह किया था और दोनों समुदायों से एक-दूसरे की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधने का निवेदन किया था।
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