हरतालिका तीज व्रत? जानें व्रत के नियम और पूजा विधि

 

हरतालिका तीज व्रत? जानें व्रत के नियम और पूजा विधि


हरतालिका तीज ( Hartalika Teej 2021)

हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है। हरितालिका तीज सावन के बाद आने वाले भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इस व्रत को बहुत बड़ा व्रत माना जाता है। खासकर यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में इस व्रत को मनाया जाता है। हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। 

हरतालिका तीज व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक बिना अन्न और जल के रहती हैं। हर जगह अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार नियम अलग-अलग है। कई जगह फलाहार कर सकते हैं। पूरे दिन के व्रत रखने के बाद अगले दिन सुबह ही व्रत खोला जाता है। 


हरतालिका तीज क्यों मनाते हैं?

महिलाएं निर्जला और निराहार रहकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती है |


हरतालिका तीज 2021 की तारीख व मुहूर्त

इस साल हरतालिका तीज का व्रत 9 सितंबर 2021 दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।

हरतालिका तीज व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में हरतालिका तीज व्रत का विशेष महत्व है | मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर पूजा करने से वैवाहिक जीवन का सुख और संतान की प्राप्ति होती है | इस दिन महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति, की पूजा करती है|


ऐसा माना जाता है कि 108 जन्मों की एक स्थायी अवधि के समर्पण, भक्ति और तपस्या के साथ, देवी पार्वती ने अपनी प्रार्थनाओं के साथ अंततः भगवान शिव को अपने पति के रूप में हरतालिका तीज के भाग्यशाली दिन पाया। उस समय से इस दिन का महत्व काफी बढ़ गया और हिंदू मान्यताओं के अनुसार सबसे शुभ दिनों में से एक के रूप में मनाया जाता है। हरतालिका तीज की पूर्व संध्या पर, महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं ताकि वे खुश और सफल विवाहित जीवन के लिए आशीर्वाद मांग सकें और अपने पतियों के कल्याण और अच्छे भाग्य के लिए प्रार्थना कर सकें।




व्रत के नियम


हरतालिका व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. इस व्रत के दौरान महिलाएं सुबह से लेकर अगले दिन सुबह सूर्योदय तक जल ग्रहण तक नहीं कर सकतीं. महिलाएं 24 घंटे तक बिना अन्न और जल के हरतालिका तीज का व्रत रहती हैं. इस व्रत को कुंवारी लड़कियां और शादीशुदा महिलाएं दोनों ही कर सकती हैं मान्यता है कि इस व्रत को जब भी कोई लड़की या महिला एक बार शुरू कर देती है तो हर साल इस व्रत को पूरे नियम के साथ करना पड़ता है. इस व्रत को आप बीच में नहीं छोड़ सकती हैं.


इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनकर संवरती हैं, यानि पूरा सोलह श्रृंगार करती हैं. वहीं आसपास की सभी व्रती महिलाएं रात भर जगकर भजन और पूजन करती हैं. हरतालिका तीज के दिन रात्रि जागरण किया जाता है. इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है.

यह व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी योग्य वर की कामना के लिए करती हैं।


पूजा विधि

हरतालिका तीज पर व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए. नियमानुसार हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है. सुबह उठकर स्नानादि के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लें. दिन भर निर्जला व्रत रहें. सूर्यास्त के बाद के प्रदोषकाल में भगवान शिव और माता पार्वती की रेत से बनी मूर्ति को स्थापित कर पूजा करें. 

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हरतालिका पूजन के लिए - गीली काली मिट्टी या बालू रेत। बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते, फुलहरा (प्राकृतिक फूलों से सजा)। 

पार्वती मां के लिए सुहाग सामग्री- मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि। श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए।


शिवजी की आरती


जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

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